भोजपत्र या बर्च की छाल एक पारंपरिक सामग्री है जिसका उपयोग मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में लेखन और पांडुलिपि संरक्षण के लिए किया जाता है। यह भोजपत्र वृक्ष (बेतुला यूटिलिस) की छाल से प्राप्त होता है, जो आमतौर पर हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है।
विशेषताएँ:
- बनावट : भोजपत्र की बनावट चिकनी, पतली और लचीली होती है, जो इसे लिखने के लिए उपयुक्त बनाती है।
- स्थायित्व : उचित तरीके से उपचारित होने पर, यह नमी और कीड़ों के प्रति प्रतिरोधी होता है, जिससे ग्रंथों को दीर्घकालिक रूप से संरक्षित किया जा सकता है।
- प्राकृतिक रंग : छाल का रंग आमतौर पर हल्का भूरा या क्रीम होता है, जो स्याही या रंगद्रव्य के लिए एक सुंदर पृष्ठभूमि प्रदान कर सकता है।
उपयोग:
- पांडुलिपियाँ : ऐतिहासिक रूप से, भोजपत्र का उपयोग महत्वपूर्ण ग्रंथों, धर्मग्रंथों और साहित्यिक कृतियों को लिखने के लिए किया जाता था, विशेष रूप से संस्कृत और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में।
- कलात्मक अनुप्रयोग : इसका प्रयोग पारंपरिक कला रूपों, जैसे चित्रकला और सुलेख में भी किया जाता है।
- सांस्कृतिक महत्व : भोजपत्र का कई समुदायों में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जो अक्सर आध्यात्मिक और शैक्षिक प्रथाओं से जुड़ा होता है।